कभी फुरसत मिलती ही नहीं
कभी फुरसत मिलती ही नहीं
कभी काँटे भी अच्छे लगते हैं
कभी फूल भी चुभने लगते हैं
कभी हँसी रूकती ही नहीं
कभी आँसू थमते ही नहीं
कभी सब कुछ अच्छा लगता है
कभी कुछ मन को भाता ही नहीं
कभी ख़ामोशी अच्छी लगती है
कभी बातें ख़त्म होती ही नहीं
कभी समय ठहर सा जाता है
कभी फुरसत मिलती ही नहीं
कभी किसी की याद तड़प बन जाती है
कभी मुलाकात होती ही नहीं
कभी सब कुछ भुलाने को जी चाहता है
कभी किसी की याद मिटती ही नहीं
कभी सारे सपने चुराने को जी चाहता है
कभी आँख लगती ही नहीं।।