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dr vandna Sharma

Drama

5.0  

dr vandna Sharma

Drama

कभी पागलपन भी ज़रूरी है

कभी पागलपन भी ज़रूरी है

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कभी पागलपन भी ज़रूरी है

होश में रहे जब तक,सहते रहे सब


ना की शिकायत किसी से

पर जब होश खोये तो


क्रांति हुई, जागी जनता

कुछ करना है या मरना है


पाना नहीं सब कुछ खोना है

एक बूँद सागर से मिलने को फ़ना हो गयी


तोड़ सारी हदें मीरा दीवानी हो गयी

जब -जब होश गवाया इंसान ने


धरती डोली अम्बर चकराया

कान्हा ने गीता का संदेश सुनाया


कभी -कभी बेड़िया डाल देती है बुद्धि

लाभ -हानि के चक्र्व्यूह में फँसा देती है बुद्धि


पर एक क्षण का पागलपन

इतिहास बना देता है


किसी को भगत सिंह

किसी को राँझा बना देता है


होश में रहकर भी कहीं होश खो जाये

तो सोचना कभी ए दोस्तो


ज़रूरी नहीं समझदारी हर वक़्त ज़िंदगी में

जीने के लिए कुछ खास पल

कभी कभी पागलपन भी ज़रूरी है।।


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