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Shailendra Kumar Shukla, FRSC

Inspirational

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Shailendra Kumar Shukla, FRSC

Inspirational

कभी ना रुकते हैँ

कभी ना रुकते हैँ

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कभी ना रुकते हैँ, वो पतवार हैँ हम 

कभी ना झुकते हैँ, वो दीवार हैँ हम 

शातिरों की खंजर को भी तोड़ जायें 

कभी तो उस तलवार की धार हैँ हम!

 ज़माने मे मिलते हैँ रोज कातिल 

पास आते हैँ, वार भी करते कातिल 

अपने जीने को इतना सादा कर दो 

कतल उनका ही हो जाये जो हैँ कातिल ! 

वाजुआं मे अभी दमखम तो होगा 

आरजू भी अभी कोई कम ना होगा 

साथ देते ना देते, मुकददर उनका 

अभी तो खुद ही ज़माने की चाह हैँ हम ! 

वो तडपते रहेंगे उम्र भर यूँ ही

 हमे देखकर भी तरसेंगे सदा यू ही 

हम तो हम हैँ जो राह बनाते अपनी

 तभी तो वक़्त भी बोले "आह" है हम !!


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