कभी कभी
कभी कभी
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कभी कभी ऐसा वक़्त भी आता है
जब गम बेजुबान हो जाती है,
ऐसा कोई अल्फ़ाज़ नहीं होता
जो दर्द को बयां कर सके।
दिल कहता है, किसी से तो
दिल ऐ हाल बयां करो,
पर जुबान साथ नहीं देता।
कभी कभी ऐसा वक्त भी आता है,
जब भीड़ में भी आप तन्हा होते है,
होठों पर मुस्कुराहट तो होती है,
बस दर्द को छिपाने के लिए,
आंखों से दिखाई तो देती है,
पर निगाहें फिर भी प्यासी होती है।
कभी कभी ऐसा वक्त भी आता है,
जब अपने भी पराए हो जाते है ,
पर दिल फिर भी उन्हें ढूंढता है।
कभी कभी ऐसा वक्त भी आता है,
जब दिल की मर्जी नहीं होती,
बस वो शामिल हो जाता है।