कैसे राजनीति बदल गई
कैसे राजनीति बदल गई


शुभचिंतक देश के डरते
देश भक्तों की दखल गई
जुबां पर नफरत के अंगारे
कैसे राजनीति बदल गई
सरोकार न कोई जिनको
वो देश हित की बात करें
स्वार्थ सिद्ध जब करना हो
धर्म, जाति और प्रान्त करें
बिन सोचे समझे भौंक रहे
इनको सिर्फ बोलना सिद्ध
लीडर बन मंडराने लगे हैं
देखो देश पर कितने गिद्ध
नोच रहे इंसानियत को
चीख कर मानवता रोती है
मासूमियत है खौफज़दा
दरिन्दगी चैन से सोती है
कैसे भला देश का होगा
जब गद्दार भीतर बैठे हों
सरे आम उड़ाते धज्जियाँ
पर संविधान पर ऐंठे हों