कैसे भूल जाऊं
कैसे भूल जाऊं
कैसे भूल जाऊँ उसे
वो मेरा रात ख्वाब है
मेरे दिन की याद है
भूला तो उसे जाता है
जिससे आप एक बार मिले हो
वो तो मुझे रोज सपने में मिलता है
कहना आसान है भूल जाओ पर करना मुश्किल है
क्योंकि वो कोई चीज नहीं है
कैसे भूल जाऊँ उससे उसे मेरी परवाह नहीं
तो क्या हुआ मुझे तो है
मैं उसके लिए कुछ नहीं पर
मेरे लिए वो तो बहुत कुछ है ना
वो जिसका भी है बस खुश रहे
क्योंकि सपनों में तो वो सिर्फ मेरा ही है ना
कैसे बता दूँ उससे की मुझे वो पसंद है
क्योंकि उसका तो कोई और हमसफ़र है
दुख ही होगा उससे मेरी बातों का
पर कैसे भूला दूँ उसे
क्योंकि मतलब नहीं है हमारा कोई उनसे
सच है जो भी है
पसंद आती हर चीज अपनी तो नहीं हो जाती
और वो कोई चीज नहीं कैसे भूल जाऊँ उसे ।