कैसा ये चमत्कार हुआ
कैसा ये चमत्कार हुआ
" प्रकृति जागी है
जागा है फिर से अंबर,
शुभ ऊर्जा का संचार हुआ
मानव मन जुड़े स्वयं से
देखो, कैसा चमत्कार हुआ"
"जागो भारत, जागो हे मानव
सृष्टि दे रही है संदेश
हो रहा है मानवता का संगम,
प्रकृति ने भी बदली है करवट
सब मिल, इसका कर दो उद्घोष"
मिट जायेगा
दु:ख का अन्धियारा,
सुख का सूरज फिर निकलेगा।
खुशियों के बादल छायेंगे,
हर दुखी का, दर्द अब, सिमटेगा,
मुस्कायेगी -२ फिर से उदास सुबहें,
अन्धियारे भी, होंगे फिर से रोशन
नहीं खोना, अब धैर्य घबराकर,
बढ़ना है अब आगे,
अटल हौसले, मन में है, रखकर।
"भारत भूमि धन्य हुई है
इस सपूत के उद्घोष से
पुरातन संस्कृति जाग उठी है,
गूँज रहा है भारत सारा
मोदी के संदेश से"
प्राकृती सारी चहक उठी है,
जंगल-जंगल जाग उठा है
मृगतृष्णा की, दौड़ ख़त्म हुई,
जन-जन में नई ऊर्जा का संचार हुआ।
" प्रकृति जागी है
जागा है फिर से अंबर,
शुभ ऊर्जा का संचार हुआ
मानव मन जुड़े स्वयं से
देखो, यह कैसा चमत्कार हुआ"
ये हिफ़ाज़त भी इक इबादत है -२
चार दिन ख़ुशी से, थोड़ी एतिहात कर लिजिये।
अब मृगतृष्णा की दौड़ ख़त्म कर,
जीवन में नई ऊर्जा का संचार कर लिजिये।