काश
काश
काश कोई हो जो मुझे पहचान सके
पहचान सके मेरे रूह को
मेरे मन को।
यूं तो एक खोली किताब नहीं हूं में
ताकि जो चाहे वो पढ़ सके
पर काश ऐसे कोई हो
जो
दिल की गहराई को भी माप सके।
काश कोई हो जो
मेरे दिल की रास्ता को
पार कर सके।
काश कोई हो जो
मेरे हर मुस्कुराहट के
पीछे की दर्द को जान सके
हर दर्द की हर बजह को मिटा सके।
काश कोई हो जो
वजह ना देखे मुझे हसाने की
बस हसाते चले
लबों पे मुस्कान जगाते चले।
काश कोई हो जो
रातों में तन्हा ना छोड़े
यादों को अधूरा ना छोड़े।
काश कोई हो
जो मुझे पहचान सके
मुझे पहचान सके
काश कोई हो जो मेरे
दिल के आवाज़ सुन सके।
काश कोई हो।