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JAI GARG

Romance

3  

JAI GARG

Romance

काश (log 6)

काश (log 6)

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190

कुछ तो हुनर होगा जलते अंगारों से निकलते धुएँ मे

हर उस तलब का, जो जीवन को राख मे तब्दील करे


प्यार मे टूटे दिल का तो बहाना ही था कश लेने का

गुफ़्तगू दीवारों से कब तक कर सकेगा कोई, सोचो ?


दूर कही धड़कनों की बीती यादो का गुज़रना, मोह होगा,

पूरा होगा या नहीं ? कटु सत्य को कोई भुला नहीं सकता !


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