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Manisha Kumar

Tragedy

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Manisha Kumar

Tragedy

काश कि हम फिर मिल जाते

काश कि हम फिर मिल जाते

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ए काश कि फिर से एकबार 

तुम कहीं तो मुझको मिल जाते 

कितना कुछ है कहना तुमसे

कभी तो आकर सुन जाते

ए काश कि फिर से एकबार 

तुम कहीं अचानक मिल जाते 


बहुत अभी है हिम्मत मुझमे

 सबको यह दिखलाती हूँ 

लेकिन चलते चलते तन्हा

अब मै थकती जाती हूँ, 


 रखकर हाथ कभी कांधे पर

"मै साथ में हूँ न" कह जाते। 

ए काश कि फिर से एकबार 

तुम कहीं तो हमसे मिल जाते 


तुम्हारी हर चीज को मैंने 

बड़ा सजों कर रखा है,

पास हो तुम बस यहीं कहीं पर

अहसास इन्ही से जिन्दा है।


हौले से छूकर इस बुत को

थोड़ी सी उर्जा दे जाते

ए काश कहीं तो एकबार 

तुम यूं ही मुझको मिल जाते


हर च

ेहरे में ढूंढू तुमको 

हर आहट पर राह तकूं

सांझ ढले दिल की बेचैनी

किस आस भरोसे शांत करूं।


एकबार तो आकर पागल दिल को

थोड़ी आस बंधा जाते। 

ए काश कहीं तो एकबार 

तुम आकर हमसे मिल जाते 


जाने हैं सब मैं भी जानू

अब मिलना ना मुमकिन है

पर दिल को कैसे समझाऊं

यह नहीं किसी की सुनता है। 


तुमही आकर बस एकबार 

इसको थोड़ा समझा जाते

एकबार बस एकबार 

तुम कहीं तो मुझको मिल जाते


छोड़ गए हो जब से हमको

कुछ न अच्छा लगता है

हो कोई उत्सव या समारोह 

न जाने क्यों चुभता है।


काश कि ऐसा संभव होता 

हम साथ हमेशा रह पाते। 

ए काश कि हम से एकबार 

तुम कहीं तो फिर से मिल जाते।


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