काश..४ ( माँ के नाम)
काश..४ ( माँ के नाम)
काश हर दिन होता माँ के नाम ,
साल मैं एक नहीं
हर पल होता
उस जन्मदात्री के नाम।
और काश किसी माँ के आँखों में
आँसू ना होता ...।
कोई माँ अपने पल्लू पे हर दिन
पोछती है आँसू ,
कोई तो गले से निगल लेते है दो आँसू ।
जो हाथ पकड़ कर बड़ा करती है ,
किसी के लिए वो बन जाती है बोझ।
कोई लेके फेक देता है वृद्धाश्रम में,
कोई फिर बांटता है
भाइयों के बीच।
किसी को माँ का बुढ़ापा पसंद नहीं,
किसी को खांसी,
किसी को माँ के असुंदरता पसंद नहीं,
किसी को अनपढ़ माँ पसंद नहीं
काश कोई बेटा ये ना भूलता
कितनी बार तेरे मूत्र को भी
माँ ने निगल लिया है अमृत के तरह
कितनी रात सोया नहीं तुझे सोलाने के लिए ,
काश ये समझ पाता हर बच्चा ,
कितनी नाजुक से पालता है माँ बच्चे को ,
कितनी दिन भोकी रही है ,
तुझे खिलाने के लिए।
कितनी अरमान को मार दिया है
तेरे सपने पूरे करने की लिए।
क्यों हम सिर्फ इसी दिन को मनाए,
क्यों सिर्फ एक दिन माँ को प्यार जताए ।
काश हर कोई श्रवण कुमार होता ,
हर पल माँ की पूजा करता ।
काश हर माँ भी बच्चे की भूल को
कान पकड़ के सही करते
काश ..
हर उम्र में माँ के उंगली बच्चे के हाथ में होता ।
काश कोई अनाथ ना होता ,
काश सब के सर पे माँ के नाम होता ।
माँ के नाम होता ।
काश माँ जैसे अनमोल रतन सबको नसीब होता।
काश सबको नसीब होता.।