कामयाबी
कामयाबी


सपने छोटे हो या बड़े,
सपने तो सपने होते है।
गरीब हो या अमीर,
सपने हर कोई सजाते है।
दिन रात की मेहनत और,
दिल की लगन से हर बार।
कामयाबी की ओर वो,
तेजी से बढ़ते नजर आते है।
लोग तो खिल्लियां हर किसी का,
उड़ाया ही करते है समाज मे।
सपनों को छोड़ और न ही,
किसी की बातों की परवाह कर।
सवाल तो आये लोग क्या कहेंगे ?
मैं तो कमजोर हुए चला हूँ धीरे धीरे।
लज्जित न हुए वो दिल से,
कभी इन छोटी बातों से प्यारे।
लोग तो केवल ओहदे ही देखा करते है,
कभी न देखते लोगों की मेहनत।
कितनी ठोकरें पाकर गिरके उठकर,
फिर दुगुनी ताकत से आगे बढ़े है वो।
खून पसीना बहाना पड़ा है उन्हें,
कामयाबी यूं हासिल न होती चुटकियों में।
कितनी असफलता की कमर तोड़ कर,
ऊँचे शिखर पर आगे बढ़े है वो।
कभी कभी तो लगता होगा,
न मिल पायेगी मंजिल कहीं।
डर लगा रहता होगा दिल मे ,
सपने अधूरा न रह जाये।
ठोकर पाकर जो सपनों की,
राह में मुह नही मोड़ते है।
वही ताकत तो उन्हें हरदम,
सच्चाई की पथ पे आगे बढ़ाती है।