कामयाबी कुछ कदमों की दूरी है!
कामयाबी कुछ कदमों की दूरी है!
सौ चोटें कुदाल की,
स्वेद बूंदें खनन श्रमिक की,
असफलता मुँह चिढ़ाती है,
फिर 101 वीं बार चली कुदाल जब,
सोने की खानें मिल जाती है,
असफलता और सफलता के बीच की खाई
उस एक प्रहार तक सिमट जाती है !
छः युद्धों में पराजित नरेश,
जा कर गुफ़ा के अँधेरे में,
मायूस नज़र सा आता है,
फिर मकड़ी के बुनते जालों से,
साहस का अम्बार भर लाता है,
फिर सातवें युद्ध में हौसले से,
रण विजयी कर लाता है,
असफलता और सफलता के बीच की खाई
उस एक प्रयास से पाट लाता है!
नन्हीं चींटी के अथक प्रयास भी जब,
दाने का ढेर उठा न सके,
फिर एक आखिरी कोशिश से,
मंजिल सुलभ हो जाती है,
असफलता और सफलता के बीच की खाई
उस एक कोशिश से भर जाती है !
असफलता बस इतनी ही अधूरी है,
कामयाबी कुछ कदमों की दूरी है !