काला रंग
काला रंग
पक्का रंग होता वहीं, काला जिसका नाम,
सातों रंगों को सोख ले, ऐसी है पहचान।
कभी नहीं जो मिट सकता, ऐसा हो रंग,
तवा काला,भैंस काली, काला हो मलंग।।
काले पर नहीं रंग चढ़े, कहते आये संत,
दाल में काला हो बुरा, वो भी होता रंग।
काली होती कोठरी, कर देती है बदनाम,
काले रंग के प्रसिद्ध हैं,कहलाते हैं श्याम।।
काली होती रात्रि,दिन को कर दे बदनाम,
काली आंखें बोलती,लगती जैसे हो जाम।
काला धब्बा चांद पर, मन को दे आराम,
काली मां करे रखवाली,मिला भव्य धाम।।
प्राथमिक रंग नहीं, द्वितीयक रंग है काला,
देख देख काली घटा, मन पर लगे ताला।
काले मनकों की सजे संत के हाथ माला,
काले रंग की गुजरी,नांच में करती चाला।।
जीवन का अंत मिले, बन जाता है काला,
काले धब्बे आसमान, ब्लैक होल का नाला।
काले कारनामे होते, सबसे बुरे कहलाते हैं,
काले रंग के कपड़े तो, गोरे रंग सुहाते हैं।।
दिल से काला मत बनो, चेहरा चाहे काला,
काला रंग देख देख, जुबान पर लगे ताला।
काला मोती माला में, कर दे बड़ा उजाला,
काले जैसा पक्का हो, आंखों में होता जाला।।
काले होते लोग वो, कर देते जन पर घात,
काला होता यमराज, जिंदगी को करे रात।
काले से बढ़कर नहीं, कोई दूजा न चढ़ता,
काला रंग इस संसार में, दिनोदिन बढता।।
काला काला बादरा, जमकर देता बरसात,
काले रंग का श्याम जी, बदले बुरे हालात।
काले से नहीं डर कभी, टीका लगता काला,
काला को नजर ना लगे चाहे काली बाला।।