काहे को रोना
काहे को रोना
मेरे घर का कोना-कोना
मेरे घर का कोना कोना
रहता था सूना सूना
समय बीतता था सबका
नौकरी में नौकराना
जब लौटते थे घर को
सुध बुध कहाँ किसी को
लगता था जैसे घर ये
सोने का है ठिकाना
जब से बढ़ी है दूरी
सब और पास आए
परिवार बन गए हम
गायब हुआ जमाना
अब तक थे पास रहकर
भी दूरियाँ बनाए
अब एक दूसरे का
घर हो रहा दीवाना
डर मौत का नहीं है
वो जिंदगी का सच है
पर मौत से भी लड़कर
जीवन को आगे लाना
अंधेरा बड़ा घना है
तभी तो दीपक है जलाना
क्या है दुख काहे को रोना
क्यों करें हम कोरोना कोरोना
ये भारत है भारत की
संस्कृति है सोना
यहाँ दुख में भी हिम्मत
न सीखा है खोना
क्या है दुख काहे को रोना
क्यों करें हम कोरोना कोरोना