कागज़ कलम
कागज़ कलम
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जीवन के नग्मे लिखे हैं कागज़ पर
कलम ने बखूबी साथ निभाया है।
कल्पनाओं को शब्दों में पिरोने पर
पुरानी यादों ने भी साथ निभाया है।
मेरे खयाल इतराते हैं मुझ पर,
जब उन्हें दोस्ती करनी होती!
चुपके से एहसास बिखेरते हैं
कुछ समय ने भी साथ निभाया है।
नाज़ करती कागज़ की धरती पर
कलम भी रंगीन हो जाती है,
ज़िंदगी की किताब लिखने में
मेरी सहर ने भी साथ निभाया है।
कागज़ कलम का कुछ रिश्ता ऐसा
नदिया संग विशाल सागर के जैसा
कलम जीवन को जीती कागज़ पर,
मेरे जज़्बातों ने भी साथ निभाया है।