"जय हो,महाराणा प्रताप की"
"जय हो,महाराणा प्रताप की"
खाई थी,मित्रों उन्होंने तो रोटी भी घास की
परन्तु झुकने नही दी थी,पगड़ी मेवाड़ की
जय हो,वीर शिरोमणी महाराणा प्रताप की
जिन्होंने बचाई थी,लाज हमारे मेवाड़ की
बात जब-जब भी आती स्वाभिमान की
बातें याद आती,बस महाराणा प्रताप की
पूंछों न तुम महाराणा प्रताप की सादगी
छोड़े महल-चौबारे,बात आई स्वराज की
जिन्होंने बात न की कभी जातिवाद की
वो कूका था,आदिवासी समुदाय का जी
पुत्र मानते है,उन्हें आदिवासी आज भी
उस वक्त बात न थी,हिंदू-मुसलमान की
प्रताप का सेनापति था,हकीम खान जी
मुगलों के अधीन न होने देगा मेवाड़ जी
जब तलक हाथ मे,खान के तलवार जी
तलवारसहित दफन,मैदान में वो आज भी
बहलोल खान को बीच मे से चीर दिया,
जय हो,जय हो शेर महाराणा प्रताप की
अकबर को स्वप्न में डर लगता,जिनका
में तुच्छ सेवक उन महाराणा प्रताप का
में क्या गुणगान करूँ,प्रताप के प्रताप का
उनके आगे तो सूक्ष्म है,नाम हिमालय का
प्रात:स्मरणीय नाम है,महाराणा प्रताप जी
जिनके चेतक,रामप्रसाद,थे बड़े वफादार जी
याद रहेगा साथ ही,भामाशाह का दान भी
जय हो,वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप की
में तो ख़ुशनसीब हूं,मेरा जन्म हुआ यहां पर
जहां इंसां क्या,पशु भी जय बोलते मेवाड़ की।