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Anita Mandilwar Sapna

Abstract

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Anita Mandilwar Sapna

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ज्वार

ज्वार

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352



जब

आती तुम्हारी

याद

मन में

उठते हैं ज्वार. !

यादें

समंदर की

लहरों की तरह

उठती है गिरती है

मन में उठती तरंग

लावे की तरह

ज्वार भाटे में

कब बदल जाती

समझ ही नहीं पायी

पिता की याद

माँ की स्मृति में

मन जब जब

उदास हो उठता है

शांत मन में 

उठते

कई ज्वार

जो

ले जाते हैं कहीं

आकाश में छाये

बादलों के पार

सपना

खो जाती है

कहीं 

सपनों की दुनिया में ...!



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