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Rashi Rai

Others

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Rashi Rai

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जवानी या बुढ़ापा

जवानी या बुढ़ापा

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लोग कहते हैं अक्सर बुढ़ापे में सनक सवार हो जाती है,

पर पता है मुझे तो लगता जवान लोग जरूरत से कही ज्यादा सनकी होते हैं !


अब ये भी जानिए ऐसा क्यों कह रही मैं,

अब देखो बुढ़ापा ऐसा पड़ाव होता है जो हमारे किये का परिणाम दिखाता है

अब अच्छा हो या बुरा वो किया नहीं बदल सकते

ये सोचकर बूढा इंसान चिड़चिड़ा रहता है !

पर स्नेह और सत्कार इसके इलाज है

इन दो चीजों के होने पे वो खुशमिज़ाजी से ही रहेगा !


वही जवान लोगों को देखकर बड़ा बुरा लगता है

पता नहीं भेड़बकरियो की भांति रहते है

बस आगे जो जा रहा, कोई जो कह रहा

बस उसके पीछे पीछे या सबकी हा में हा मिलाते रहना !

भले खुद पे हो तो गलत लगता हो पर दुसरो को कुछ भी बोलना इनकी ईगो को सुकून देता है,

मिया लल्लन बकरा पाले हम भी बकरा पालेंगे

गोचु भाई लंदन गए हम भी लन्दन जायेंगे !

अरे ससुर वो तो साला लड़की पटाया है

हम भी लड़की पटायेंगे

ज़ब नहीं पटी

तो साली लड़कियां तो करेक्टरलेस होती हैं !

भले खुद का करैक्टर झिल्ली भर का भी नहीं !

जरा सा तबियत से हाथ लगाओ फटके निकल आये !

अच्छा सुनो तो फलाने की बिटिया भाग गयी

और तो सुनो बेटा लंदन में ही शादी कर लिया माँ बाप को पूछा भी नहीं

सुना है एक बार फ़ोन आया था कि जायदाद का क्या करने वाले हैं !

ऐसे जवान बहुत कम ही ये बात करेंगे कुछ लोगों ने गलत किया है पर हम कुछ गलत नहीं करेंगे,

कभी भी कोई अकेला हो कोई सही चीज के लिए तो उसका पूरा सहयोग करेंगे !

ये बातें करना और रोजमर्रा की भागती ज़िन्दगी में अमल में लाना उतना ही मुश्किल है

जितना चाँद की बात करने की बजाय चाँद पे सही प्रक्षेपण करना !


अब आप ही बताईये जवानी में सनक होती है या बुढ़ापे में,


ज़ब इंसान को ना ढंग से दिखाई देता ना शरीर सही हाल में होता है कभी कभी सुनाई भी नहीं देता है !

ऐसे में स्नेह और सत्कार भी ना दे तो काहे का अपना और काहे का परिवार !

ज़िन्दगी भर जिनकी जिन्दगिया बनाने में गुजार दिया उनको बुढ़ापा नहीं देखा जा रहा अपने ही बड़ो का !



















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