जरूरी था
जरूरी था
जब वो शख्स याद आया
तो लिखना भी जरूरी था
एक अरसा से होगया था मुस्कुराये
पर उसके गले लग रोना भी जरूरी था
माना सिर्फ चंद मुलाक़ाते थीं
पर वो वक़्त बिताना भी जरूरी था
मिला था उस राह पे मुझे
जहाँ अकेले चलना भी जरूरी था
हर बात पे मुझे चिढ़ाता था
और मेरा उस पे नाराज़ होना भी जरूरी था
अपनी बंदर जैसी मुस्कान दिखा के
मेरा यूँ मुस्कुराना भी जरूरी था
उसके चेहरे की चमक देख
दिल का दर्द छुपाना भी जरूरी था
उसकी छोटी छोटी नादानियों पे
मेरा उसे देख शर्माना भी जरूरी था
अब चाहे बात न हो पर
वो आखरी मुलाक़ात का अधूरा रह जाना भी जरूरी था
लब्ज़ नही इतने की दिल के जज़्बात बयान करू
पर उसका मेरे साथ न होना भी जरूरी था
जब वो शख्स याद आया
तो लिखना भी जरूरी था!