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Dr. Anu Somayajula

Abstract

4.7  

Dr. Anu Somayajula

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जो तेरा है- तुझ तक आएगा

जो तेरा है- तुझ तक आएगा

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जो तेरा है- तुझ तक आएगा,

न हो, उड़ जाएगा।


अल सबेरे

खिड़की खोल

उजली किरण को न्योता दे,

जो तेरी हो-

खिड़की भर पसरेगी,

न हो, सरकती जाएगी

उजास को थामने की कोशिश न कर।


बंद मुट्ठी,

बंद आंखें

एक प्रार्थना, एक कामना,

जो तेरी हो-

पूरी ही होगी,

न हो, मुट्ठी खुल जाएगी

इच्छा को बांधने की कोशिश न कर।


खिलती कलियां

महकी कलियां

फुलवारी के आंगन में,

जो तेरी हों-

डलिया भर जाएगी,

न हों, कलियां यूं ही झड़ जाएंगी

कलियों को चुनने की कोशिश न कर।


तारों भरा है

नीला अंबर

झिलमिल सी चादर ओढ़े,

जो तेरे हों-

आंगन में उतरे आएंगे,

न हों, भोर भए बुझ जएंगे

तारों को गिनने की कोशिश न कर।


बैठ किनारे

लहरों को गिन

पल पल बनतीं, फेनिल सुंदर,

जो तेरी हों-

तुझ तक दौड़ी आएंगी,

न हों, सागर में मिल जाएंगी

लहरों को पाने की कोशिश न कर।           


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