जनता का सपना
जनता का सपना
जनता अजब तुम्हारा सपना
चाँद खिलौना मांगे हो
राज भोगने वाले कहते
तुम अपनी सीमा लांघे हो
जादू की छड़ी तुम्हारे पास
उनको ये मंजूर नहीं
तभी बहाना न होने का
कितने वो मजबूर सही
जाग उठा अब भारत सारा
चला तुम्हारा जादू
जागीं माता जागीं बहिना
जागे बच्चे जागे दादू
दरअसल मन हैं सबके भारी
भ्रष्टाचार के सभी शिकारी
धिक्कार कर लिया बहु
त
अब अंतिम लड़ाई की बारी
चाहे रॉकेट पड़े बनाना
चाँद खिलौना ले आयेंगे
रिसोर्सेज का वही बहाना
न बनाने देंगे न बनायेंगे
चाँद खिलौना रोज़गार है
राकेट शिक्षा का बनायेंगे
स्वास्थ्य, सुरक्षा भी चाहिये
सबको उपलब्ध कराएँगे
अब जनता जाग उठी है
खालिस बातें सरकार न करे
पेट बस भरना नहीं काफी
कोई सपनों का व्यापार न करे!