जन्मसिद्ध अधिकार।
जन्मसिद्ध अधिकार।
मानव है,
सबसे विकसित प्राणी,
पृथ्वी ग्रह पर,
वो होता बहुत जिज्ञासु,
और झूजारू,
हमेशा आगे बढ़ने का सोचता,
नये से नये,
कीर्तिमान बनाने का सोचता,
इसमें कड़ी प्रतियोगिता का,
सामना करता।
तो मानव,
जीवन के हर क्षेत्र के लिए,
कुछ कायदे और कानून बनाता,
जिससे हर प्रतियोगिता हो न्यायसंगत,
कोई हेरा फेरी न हो सके,
सबको मिले बराबर का मौका,
आगे बढ़ने का,
अगर लगे कुछ गड़बड़ी,
तो हरकत में आए,
न्याय प्रणाली,
जो हो सही,
उसको करे पुरस्कृत,
और जो करें गलत,
उसको सजा दिलाए।
अब जो कानून बनाए,
उसका भी चुनाव,
अगर हो स्वतंत्र,
तो सही व्यक्ति आएगा,
नियमों के अनुसार चलेगा,
निःसंदेह अच्छा कानून बनाएगा।
लेकिन हो रही गड़बड़ी,
ये कौन ढूंढेगा,
यहां स्वतंत्र मीडिया और स्वतंत्र विपक्ष,
अत्यंत आवश्यक हो जाता,
ये दोनों निगरानी करेंगे,
सत्तापक्ष काम,
नियमों अनुसार कर रहा या नहीं,
अगर नहीं,
तो फिर सता को करें बाध्य,
नियमों के अनुसार चलने को।
इसलिए हमारी आजादी,
तभी सुरक्षित,
अगर मीडिया, विपक्ष और न्याय प्रणाली,
तीनों हों स्वतंत्र।