जन्म और मृत्यु
जन्म और मृत्यु
जन्म मृत्यु के मध्य
चलता आया है
सदैव सदियों से
एक विरोधाभास
सुख-दुख,पुण्य-पाप
जीत-हार,तम-प्रकाश
प्रेम-विरह,राग-विराग
जन्म-मृत्यु के मध्य
होता आया है
युग- युगान्तर से
एक मौन संग्राम
है जन्म गति तो मृत्यु विराम
एक आसक्ति तो दूजा मोक्ष-धाम
जन्म संघर्ष तो मृत्यु विराम
एक आसक्ति तो दूजा वरदान
जन्म-मृत्यु के मध्य
उलझता आया है
जन्मो-जन्मो से
मन का तर्क-तकरार
उचित-अनुचित,
ज्ञान -अज्ञान।