जंगल के रक्षक बन कर तुम
जंगल के रक्षक बन कर तुम
जंगल के रक्षक बनकर तुम
मत कटने दो पेड़।
हरी भरी हो धरती अपनी ,
हरी-भरी हो मेड़।
फसल रसायन से दूषित हैं
जहर बना है अन्न।
गाँव खण्डहर लगते सारे
पनघट सूने सन्न।
भुवन-भास्कर क्रोध में उगले
तीखी-तीखी आग।
दिन में है गहरा सन्नाटा
रात फुसकती नाग।
गौरैया खो गई कहाँ पर
पंछी सभी उदास।
नदी ताल झरने सब सूखे
कौन बुझाये प्यास।
बूँद-बूँद अनमोल यहाँ पर
जल जीवन आधार।
आओ इसे बचाएँ हम सब
शुद्ध रखें व्यवहार।
पर्यावरण प्रदूषण कम हो
हम सबको हो भान।
अगर नहीं हम अब भी सुधरे,
खतरे में है जान।