जज़्बातों का बोझ
जज़्बातों का बोझ




रह जाती हैं ना जाने
कितनी बातें
लबों तक आते आते
बोझ इतना है जज़्बातों का
कि हर एक दिल कुछ
भारी सा लगता है...
रह जाती हैं ना जाने
कितनी बातें
लबों तक आते आते
बोझ इतना है जज़्बातों का
कि हर एक दिल कुछ
भारी सा लगता है...