जिंदगी
जिंदगी
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साइकिल के पहियों सी
सरपट दौड़ती है जिंदगी
मुश्किलों के पत्थर
मारते हैं ठोकर
लड़खड़ा कर फिर
संभलती हैं जिंदगी
दुःख की गहरी खाई में
गिरकर चोट खाती है
खुद को वक्त का मरहम
लगाती हैं जिंदगी
हालातों की बंदिश
जकड़ लेती है अक्सर
होकर कैद जब तब
रह जाती हैं जिंदगी
दुख का घना अंधेरा
छीन लेता है रोशनी
सपनों की उड़ान
भरती है जिंदगी
साइकिल के पहियों सी
सरपट दौड़ती है जिंदगी।