जिंदगी
जिंदगी
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कागजी गुलाब बन गई है ज़िन्दगी,
जो दिखती तो है मगर महकती नहीं ।
फड़फड़ाती किताब बन गई है ज़िन्दगी,
सिखाती तो बहुत है कुछ सीखती नहीं ।
नीरस सी एक दास्तान बन गई है ज़िन्दगी,
जो पढ़ी तो जाती है मगर समझ नहीं आती ।
एक जहरीली सी आह बन गई है ज़िन्दगी,
ज़िन्दा तो है मगर जी अब जाती नहीं।
शुगरफ्री चाय सी बन गई है यह ज़िन्दगी,
मीठी तो है पर रिष्तों की मिठास खो गई है ।