जिंदगी उदास मेरी जिंद परेशान है (ग़ज़ल)
जिंदगी उदास मेरी जिंद परेशान है (ग़ज़ल)
जिंदगी उदास मेरी जिंद परेशान है
तेरे बाझों कौन मेरे दिल दा मेहमान है
चार दिन की सांसें बस आस भी रही न
मंजिल को पाना भी तो नहीं आसान है
खुद से ही भागे मन फिरता इधर-उधर
मुश्किलों से कब बचा दिल ए नादान है
पल में ही खुशियों से भर जाये दामन
सच्चे प्यार की कर ले महज पहचान है
धन के तराजू में बिक जाये सब सनम
'पूर्णिमा' में चांद भी न दिखे आसमान है।