जिंदगी निखर गई
जिंदगी निखर गई


तुझे देख कर मेरी भी मुस्कान निकल गई है
लोहे से कठोर थी रूह अब वो पिघल गई है।
बड़ी मशक्कत से संवार के रखी थी जिंदगी
कुछ साजिशों की आफत उसे निगल गई है।
एक कलाकार की लगन नहीं देखती दुनिया
आग से उसकी मेहनत मोम सी गल गई है।
अपने रास्तों पर चलने की ही आदत मुझे
उनके भ्रमित रास्तों पे चाल फिसल गई है।
जब से कम जरूरतों में ही खोजी है खुशी
हर कसौटी पर मेरी जिंदगी निखर गई है।