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Monika Garg

Drama

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Monika Garg

Drama

जिंदगी की सीढ़ियाँ

जिंदगी की सीढ़ियाँ

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जिंदगी की सीढ़ियाँ

चढ़ते जाना है,

बचपन से निकला 

जवानी आई

अब बुढ़ापे ने आना है।


अभी से रिश्ते टूट रहे 

फिर किसने निभाना है,

हाथों में लाठी पकड़े 

बस एक दिन चले जाना है।


हो सके तो हँस के गुजार लो, 

यह समय फिर न आना है।


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