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PRADYUMNA AROTHIYA

Tragedy Others

4.5  

PRADYUMNA AROTHIYA

Tragedy Others

जिंदगी की कहानी

जिंदगी की कहानी

1 min
262


आज उनको घर की याद आई

जो वर्षों पहले 

घर छोड़कर चले गए,

शहर की रंगीन गलियों के लिए

गाँव की महक

गाँव में छोड़कर चले गए।


माना कि शहर में

जिंदगी जीने के तरीके बहुत हैं,

पर शहर की उन रंगीन गलियों में

सीमित दिल

और सीमित घर बहुत हैं।


और उन्हीं सीमित घरों में

दुनियाँ से दूर

दुनियाँ के बड़े बड़े लोग देखें हैं,

रूठे-रूठे से हर चेहरे

और अपने ही सवालों में 

उलझे से

शहर के लोग देखें हैं।


पर जिंदगी में वक़्त के साथ

किसी चीज की कीमत

गिर नहीं जाती,

अपनों से दूर रहकर

जिंदगी जी ही नहीं जाती।


रास्ते अक्सर दूर

 बहुत दूर निकल जाते हैं,

मुड़ते नहीं कदम

और वक़्त की परतों पर

अतीत के रंग बदल जाते हैं।


यह नजरों का फेर है

कि जीवन देने वाली भी

अपनी नजरों में शून्य बन जाती है,

और पराई गली

जीवन की राह बन जाती है।


पर जिंदगी की यही कहानी है

जीने के लिए

वह हर राह से गुजर जाती है,

क्या अच्छा-क्या बुरा

वह नहीं जान पाती है ?


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