ज़िन्दगी के सफ़र में
ज़िन्दगी के सफ़र में
लोग बहुत मिलेंगे और बनेंगे काफ़िले रास्तों में
कुछ पीछे छूटेंगे तो, कुछ हमदम रहेंगे साथ में,
कुछ कहानियां मुकम्मल होंगी, तो कुछ मिटेंगी,
चाह रहेगी ज़िंदा फिर से, ज़िंदगी के सफ़र में,
ना दे गर कोई साथ, पर खोना ना तुम विश्वास,
आयेंगी फिर मुश्किल हर डगर पर, हर कदम में,
होना मज़बूत अंदर से, एक नई आस तुम में
मिलेगी मंज़िल उसी को इस जिंदगी के सफर में।
खामोश हैं निगाहें जब तलाश करती हैं! कुछ,
बीते पल,और कुछ यादें जो संजोए दिल में,
जज़्बात अनकहे एहसास याद आयेंगे दर्द में,
तन्हाइयों के अंधेरे आये, जिंदगी के सफ़र में।
पीछे मुड़कर देखा, तो धुंधला हो गया रास्ता,
ले आई हैं कश्ती लम्हों की उमड़ते हुए भंवर में,
पार कर लेंगे रहमतों से, तैरते डूबते मझधार में,
कौन कहता है कि हारे, हम जिंदगी के सफर में।
होश हुए न गुम, आएंगे फिर से खुशनुमा वो दिन,
समझदारी, रहनुमाई के पर आई ना बेवफ़ाई मुझमें,
उलझे रहे मांझे की तरह, लिपटे रहे कटी पंतग में,
उड़ेंगे जब हौसलों की उड़ान, फिर से ज़िंदगी के सफ़र में........