ज़िंदगी का सफ़र
ज़िंदगी का सफ़र
ज़िंदगी का सफ़र सच कहूं तो हम सभी की समझ से बाहर।
कभी रहता नियंत्रण तो कभी हम हो जाते आपे से बाहर।।
किसी भी मानव का एक जगह नहीं रहता ठौर।
जीवन के हर पहलू पर करना चाहिए हमें गौर।।
कोमल कर से थामें रखनी चाहिए प्रेम की डोर।
चाहे सफर में अंधेरा कितना भी आ जाए घनघोर।।
ज़िंदगी का सफर सच कहूं............
कोशिश से कामयाबी का हमें करना चाहिए प्रयास।
हर पल करनी चाहिए परमात्मा से सच्ची अरदास।।
परोपकारी होते हुए होना चाहिए खुद पर विश्वास।
तब ज़िंदगी के सफर में हम अवश्य बन सकेंगे खास।।
ज़िंदगी का सफर सच कहूं...........
प्रत्येक व्यक्ति को ज़िंदगी दिखाती है अद्भुत कमाल।
सुख-दुख या लाभ-हानि में हमारे खिलने चाहिए गाल।।
खुशियों एवं आनंद से भरा जीवन ही करता है मालामाल।
यदि आप मेरी बात से सहमत हैं तो मिलाएं ताल से ताल।।
ज़िंदगी का सफर सच कहूं........
हमें जीवन में अपने संग दूसरों का भी रखना चाहिए ख्याल।
बेवजह कभी नहीं पालने चाहिए अपने भीतर कुविचार।।
सदा बनाए रखना चाहिए सभी के संग सद्व्यवहार।
तभी ज़िंदगी में खिला सकते हैं गुलाबों की बहार।।
ज़िंदगी का सफर सच कहूं............