जिंदगी का एक ऐसा भी सफर
जिंदगी का एक ऐसा भी सफर
फटे कपड़े, हालातो से मजबुर
अपनो से बेगाने लगते हो
दर दर की ठोकरे खाके
कोई राह भटके अजनबी लगते हो
अपनो से धोका खाके भी
सब बातो से अनजान लगते हो
भरी महफ़िल से धक्के दे कर
बाहर निकले लगते हो
चेहरे की मासूमियत बताती है
दिल के हारे लगते हो
टूटा दिल फिर भी
जज्बात के मारे लगते हो
गमो से भरी जिंदगी में
शराब के सहारे लगते हो