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SURYAKANT MAJALKAR

Drama Romance Others

3  

SURYAKANT MAJALKAR

Drama Romance Others

जिंदगी-ज़िद

जिंदगी-ज़िद

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जिंदगी निकली जा रही है

जिंदगी फ़िसली जा रही है।

मैंने कोशिश की तुम्हें पाने की

तुमने कोशिश की मुझे समझाने की।


सबकुछ होता है अपनेपास!

सबकुछ अपना होता है!

ये भ्रम है।


मैं तो खुशियाँ दे न सका,

जिससे तुम्हारी बात बन जाये।

मैं तो हरदम झुक न पाया,

जिसे तुम्हारा अहम सुकून पाये।


मेरा जी भी कहाँ, जिंदगी समझ पाया।

साथ रहके भी तन्हा पल पल बिताया।

ये कैसा अनुभव है।


तुम ये कोशिश जारी रखना,

मै न अपने जी को समझाऊंगा।

बेचारा मनाने के बहाने बहल

जाता है।

झूठा ही सही जी लेता है।



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