जिंदगी दूसरा मौका दे तो
जिंदगी दूसरा मौका दे तो
जीने का सलीका जीवन की सांझ में ही आया है।
अगर जिंदगी जीने का दूसरा मौका दे तो
एक बार सिर्फ अपनी परवाह ही करके खुद के लिए ही जी लूंगी मैं।
बिना किसी डर के वसंत में गुनगुनाती सी घूमूंगी मैं।
रिमझिम सावन की बूंदों में भीगूंगी मैं।
सबसे अच्छा बनने की चाह में खुद के साथ कोई समझौता नहीं करूंगी मैं।
बहुत से सपने जो रह गए अधूरे उन सब को पूरा करने की कोशिश करूंगी मैं।
कपड़े के बंद थान सा जीवन लेकर आई थी मैं,
कैसे कैसे खुलता गया
यह तो जान ही ना पाई थी मैं।
अब थान के दूसरे छोर पर आ गया जीवन,
कहां कहां कटा, और कहां लगा था दाग,
जीवन की बेपरवाही में कुछ समझ ही ना पाई थी मैं।
जीवन भर उलझती सुलझती रही यूं ही।
फिर भी आज सब पूछते हैं मेरे लिए क्या किया है?
जिंदगी बस एक बार दूसरा मौका दे तो सही,
वास्तव में ही खुद के लिए जी जाऊंगी मैं।
इस बात को भूल कर के लोग क्या कहेंगे,
मैं क्या सोचती हूं और मैं क्या चाहती हूं
सिर्फ अपने हर सपने को पूरा कर जाऊंगी मैं।