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Manju Rani

Tragedy Inspirational

4  

Manju Rani

Tragedy Inspirational

जीवन रूपी मधुर मधु

जीवन रूपी मधुर मधु

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जीवन रूपी मधुर मधु

क्यों हम इतने उलझे-उलझे हैं ?

क्यों हम सुलझते नहीं,

क्यों हम धड़कते नहीं,

क्यों मुस्कान से खेलते नहीं ?


क्यों सहमे-सहमे जीते हैं ?

क्यों साँसो के पट खोलते नहीं,

क्यों हृदय की खिड़कियों से झाँकते नहीं,

क्यों प्रेम भरी नजरों से निहारते नहीं?


क्यों सुलगे-सुलगे से रहते हैं ?

क्यों सहजता से वार्ता करते नहीं,

क्यों धैर्य का हाथ थाम रहते नहीं,

क्यों संतुष्टि का हाथ पकड़ते नहीं ?


क्यों हड़बड़ाहते से दौड़ते ही रहते हैं ?

क्यों अंतः में धीर धरते नहीं,

क्यों मन को समझाते नहीं,

क्यों अहम् को छोड़ते नहीं?


क्यों चिंताओं के भँवर में फंसे रहते हैं ?

क्यों कर्म पर विश्वास रखते नहीं,

क्यों फल ईश्वर पर छोड़ते नहीं,

क्यों अच्छे- बुरे फल ग्रहण करते नहीं,


क्यों भूत को उधेड़ते रहते हैं ?

क्यों सीधे-सीधे आगे चलते नहीं,

क्यों राहों से कंटक निकालते नहीं,

क्यों सभ्य बन आगे बढ़ते नहीं ?


क्यों इस सृष्टि की सर्वश्रेष्ठ कृति

आनंदमय हो आगे बढ़ती नहीं,

अपने ही रिश्तो में जीती नहीं,

क्यों इस जीवन रूपी मधुर

मधु को सरलता से पीती नहीं ?


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