जीवन की नदी
जीवन की नदी
जीवन की नदी अविराम
बहती रही है
यादों के किनारे किनारे
अपने आप में प्रफुल्लित
अपनी ही धुनि में
अपने ही लहरों की संगत पर
गुनगुनाती रहती है
नये नये गीत
देखती रहती है यादों के किनारे
और चलती रहती है
अपनी मंजिल की तरफ।
जीवन की नदी अविराम
बहती रही है
यादों के किनारे किनारे
अपने आप में प्रफुल्लित
अपनी ही धुनि में
अपने ही लहरों की संगत पर
गुनगुनाती रहती है
नये नये गीत
देखती रहती है यादों के किनारे
और चलती रहती है
अपनी मंजिल की तरफ।