जीवन की मधुशाला में....
जीवन की मधुशाला में....
कभी कभी मेरी ये तनहाइयाँ मुझसे कई सवाल करतीं है
जवाब तो हर सवाल का हमारे पास होता है पर खामोश रहते है
क्यों हम जवाब दे हर सवाल का हर किसी को चाहे वो तनहाइयाँ ही हो
कभी कभी हमको खामोश रहना ही अच्छा लगता है कुछ शांति चाहते है
अपनी ही अंतरात्मा से क्यों और किस लिए हम लड़े बार बार
और अशांति बनाये जीवन में अपने.......
जीवन है ये इस जीवन की मधुशाला में हमको तनहाइयों से प्यार सा
जाने क्यों हो जाता है,
चलते चलते रुक जाते है कभी कभी और फिर उठकर
चल पड़ते है तेज रफ्तार से,
ठोकरें खा खा कर भी हम जाने क्यों कदम अपने बढ़ाते है
गिरते है और उठते है,
हिम्मत हारना कभी सीखा नहीं जीतकर ही हर बाज़ी हम दम लेते है,
कभी आँसू जो निकल भी आते है तो उनको पोंछकर
फिर से खुश हो लेते है......
जानते है हम की प्यार की राहो में जीवन की मधुशाला में
बहुत दर्द मिलते है,
प्यार के नाम से भी दूर ही रहते थे कभी हम फिर क्यों
प्यार की राहो पर चल निकले,
जो भी हो अब हर फैसला हमको मंजूर प्यार मिले या
बिछड़ जाए सदा के लिए रब को
जो मंजूर वो हमको मंजूर,
तेरे नाम की हज़ारों कवितायें हमारी मधुशाला में है
अमानत बनकर हमारे पास पड़ी हुई,
जब भी तुम लौट कर आओगे हम तेरी हर अमानत तेरे हवाले कर देंगे .......