जीवन का सतरंगी छोर
जीवन का सतरंगी छोर
जीवन का यह सतरंगी छोर मन को बाँध लेता है !
कुछ आनंद से रंगती स्याही, कुछ खुशियों के पथ के राही,
कुछ विरह की क्षणिकाएं और सूनेपन की काली छाई,
सुख दुःख के रेतों से जुड़कर, मन आंगन में ऐसे समाई
लेकर भावों की आकृतियां, अनुभव की भिन्न संस्कृतियां,
जीवन का यह सतरंगी छोर संकल्प ठान लेता है !
सन्नाटों के व्यूह से निकले तो, हंसी का दामन साथ मिले,
एक अकेली भरी दोपहरी को, सुहानी सांझ का साथ मिले,
कुछ माहौल पर बिखरी स्याही, उजले रंगों का हाथ मिले,
पसरे इन अंधेरी गलियों को , रौशन वेला सौगात मिले !
तब जीवन का यह सतरंगी छोर खुशी से झूम जाता है !
गीले रेत किनारे सूखे, जीवन कूप के मंडूक जब तरसे,
सूनी आँखों की मरुधरा पर, खुशहाली की कुछ बूंदें बरसे,
बचपन रुनझुन, यौवन गुनगुन, हर पीढ़ी खुशी से चहके,
ध्वंस हो मिथ्या, घृणा हो मिथ्या, जीवन अविरल सरिता सी महके,
जीवन का यह सतरंगी छोर उम्मीदें बांध लेता है,
भ्रम के जालों को, प्रेम कटार से क्षण में काट देता है !