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Monika Garg

Inspirational

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Monika Garg

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जीवन धारा

जीवन धारा

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201

जीवन की यह जीवन धारा 

पल-पल बीती जाए,

कभी कभी यह निर्मल बहती 

कभी तेजधार बन जाए।


जीवन की इस धारा में 

खुद ही तुम मल्लाह बनो,

आशाओं को कश्ती बनाकर 

सुख दुख की पतवार बुनो।


जग के इस सागर के अंदर 

सब को यही कहती जाए ,

जीवन की यह जीवन धारा 

पल-पल बहती जाए।


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