जीवन धारा
जीवन धारा
जीवन की यह जीवन धारा
पल-पल बीती जाए,
कभी कभी यह निर्मल बहती
कभी तेजधार बन जाए।
जीवन की इस धारा में
खुद ही तुम मल्लाह बनो,
आशाओं को कश्ती बनाकर
सुख दुख की पतवार बुनो।
जग के इस सागर के अंदर
सब को यही कहती जाए ,
जीवन की यह जीवन धारा
पल-पल बहती जाए।
