जीवन डगर
जीवन डगर
जीवन के उबड़ खाबड़ रास्ते पर चलते हुए,
हर दिन, हर घड़ी, इम्तिहान से गुजरते हुए,
दर्द में चीखते कराहते और शौक मनाते हुए,
भूल गयी थी खुशी भी कोई चीज होती।
लोगों के ताने व्यंग्य मन को छलनी कर जाते,
रिश्तों के नाम पर भी जब लोग मुँह चुराते,
मदद को आगे नहीं सब पीठ पीछे दिखाते,
भूल गयी थी ईश्वर के चमत्कार को।
हिम्मत को पुख्ता कर दे दिया एक इम्तिहान,
सकारात्मक परिणाम के संग एक और इम्तिहान,
आस टूट चुकी थी मन से कोई उम्मीद न बची थी,
फिर मिला मुझे मनचाहे कॉलेज में स्थान।
परिणाम अप्रत्याशित आँखों में थे अश्रुधार,
पहली बार जाना खुशी के आँसू भी दिखाते कमाल।
दर्द सारे धूल गए, शिकवे शिकायत भी खत्म,
जीवन को मिली नई दिशा उड़ने को मुट्ठी भर आसमान।