*जीवन और संघर्ष*
*जीवन और संघर्ष*
ख़ूबसूरती से भरी जिंदगी को धुँधला बना दिया
जीवन की परीक्षा और संघर्षों ने जीना सीखा दिया
कुछ पल खुशहाली में क्या बीते वक़्त ने रुला दिया
कि मुश्किलों ने डाल डेरा फ़िर मुझको रुला दिया
क़दम क़दम पर राहों में जाल बिछा साज़िश की
दुनिया वालों ने उठता देख मुझे नीचे गिरा दिया
उम्मीद की नजरों से जब-जब भी देखा लोगों को
तोड़ मेरी उम्मीदों को मुझे सपनों से जगा दिया
गिरकर हर बार उठे अरु मंजिल किया हासिल
मुश्किलों के पत्थरों पर उन्नति के निशां बना दिया
बदनाम किया लोगों ने बेशक ही अफ़वाहों से
ख़ुद पर रख भरोसा हमने हौंसलों को बढ़ा लिया
जितनी ही बार गिराया फ़िर तोड़ा आईना को
हर बार जीवन के संघर्षों से जीतकर दिखा दिया।
