।।जीत।।
।।जीत।।
जीतना है तो जीतो तुम अपनी बुराई।
भरो दिल में अपने तुम सारी अच्छाई।
अगर जीत लोगे तुम मन को अपने।
हो जाएंगे मन के पूरे सब तेरे सपने।
अगर बुराई तुम्हारी तुमसे दूर हो गई।
समझो ज़िंदगी सारी सुंदर हूर हो गई।
रखो हौसला हरदम दिल में अपने।
कर लो मुट्ठी में ख्वाब सारे तुम अपने।
भरो उड़ान जोश को दिल में भरकर।
जीत लो तुम सारी दुनिया नभ अम्बर।
हार के डर से कभी पीछे न हटना।
आगे आगे कदम बढ़ाते अपने रहना।
कभी हौसला कम अपना न करना।
मंज़िल से पहले कहीं पर ना रुकना।
जीत का जज्बा जब मन में होगा ।
निश्चय जीत का सेहरा सिर पर होगा।
जीत कभी जब किसी को मिल जाती है।
दिल में खुशियां अपार भर जाती हैं।
सदा जीत की दिल में आशा को रखो
कभी निराशा के पास तुम मत फटको।