जीत की खुशबू
जीत की खुशबू
जिंदगी की मुश्किलों से,
तू क्यों हार मान गया,
रास्ता लंबा है,
क्या ये सोच कर ही घबरा गया,
आगे मुश्किलों के पहाड़ है,
जिसे तुझे चढ़ना है,
हार की खाइयों में भी तुझे उतारना है,
निराशा के बादल है ,
जिन्हे भी छटना है,
लोगो का भटकाव है,
जिनसे उभरना है,
क्या तू जीवन इसी लिए जीने आया था,
जिंदगी में डर का घूंट पीने आया था,
उठ जाग,रात कितनी भी लंबी क्यों ना हो,
सवेरा उम्मीदों का होना ही है,
गर अंधेरा हर ओर फैला हो,
तो क्या, उजाला भी होना ही है,
हार मान कर हाथ पे हाथ यूँ मत रख,
जीतना है तुझे तो दिल में हौसलों के "पर" रख,
कमर कस उठ खड़ा,
निराशा को त्याग,
जीत की अभिलाषा है तो,
अब जीत के लिए ही भाग,
भाग तब तक,
जब तक जीत की खुशबू महसूस ना हो,
कर मेहनत इतनी कि,
हर जीत तेरी मुठ्ठी में हो।