झिझक
झिझक
दिल मेरा भी धड़कता है ,
पत्थर सा ही सही, पर झिझकता है !
लफ्ज़ यूँ लिखने को हज़ार हैं ,
शौखियों के बाज़ार हैं !
पर कहने की बात जो आये ,
तो फिर ये सारे ही लाचार हैं !
गुरूर नहीं है मुझे कोई ,
बस यह जुबां है कहीं खोयी !
पता नहीं ज़रूरत थी या नहीं ,
पर अब तो चाहत यही सही !
थोड़ा सा विश्वास ले आऊं ,
जो कहना है , वह कह पाऊं !
आजकल पता नहीं किसका शोर है ?
ये ध्यान ज़रूर कहीं तो और है !
पर कभी अगर सुन सको ,
तो फिर गौर से सुन लेना !
कि दिल मेरा भी धड़कता है !
पत्थर सा ही सही , पर यह झिझकता है !!