जगत जननी माॅ
जगत जननी माॅ
आदिशक्ति जगत जननी माॅ तू शक्ति का भंडार है
जो भी तेरी अर्चना करे उसका तो उद्धार है
महिषासुर का वध करके भक्तों का कल्याण किया
दीन-दुखि जो ही आए तेरे दर से न खाली जाए,
तेरे पावन चरणों में हम सब अपना शीश झुकायें।
आदिशक्ति जगत जननी माॅ तू शक्ति का भंडार है
जो भी तेरी अर्चना करे उसका तो उद्धार है
महिषासुर का वध करके भक्तों का कल्याण किया
दीन-दुखि जो ही आए तेरे दर से न खाली जाए,
तेरे पावन चरणों में हम सब अपना शीश झुकायें।