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ca. Ratan Kumar Agarwala

Inspirational Others

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ca. Ratan Kumar Agarwala

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जग ढूंढता रहा मैं पत्थर में

जग ढूंढता रहा मैं पत्थर में

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ना खोजूँ मैं मूर्ति में भगवान, करूँ निर्गुण ब्रह्म की उपासना,

आचरण में होगी जब शुद्धता, तब होगी ब्रह्म की आराधना।

क्या होगा पत्थर को पूजने से, अगर शुद्धता न हो मन में,

बेकार हैं पत्थर को पूजना, अगर शुद्धता नहीं आचरण में।

 

सदाचरण, सद्भाव, नेक राह, इन्हीं पर चलकर होती उपासना,

करते रहते हो पत्थर की पूजा, मन से नहीं करते अर्चना।

सही भक्ति मन से होती, बिन भक्ति पूजा का क्या मोल,

अगर न हो सच्ची भक्ति, घूमते रहना जग यूँ ही गोल गोल।

 

क्यूँ पूछते हो कि पत्थर नहीं पूजना है तो भगवान हैं कहाँ,

जहाँ भी है विश्वास और श्रद्धा, प्रभु तो बस बसते हैं वहाँ।

अगर जगा लो मन में भक्ति, तो पत्थर में होगा भगवान,

अगर जगा लो सच्ची भक्ति, तो पत्थर बन जाए शालीग्राम।

 

ना ही तीरथ में, ना ही मन्दिर में, ईश्वर हैं कण कण में,

अगर हो मन में भक्ति भाव, तो मिलेंगे ईश्वर जन जन में।

ईश्वर हैं निराकार, ब्रह्माण्ड निर्माता, घट घट में वे बसते हैं,

बिना भक्ति जो पूजते पत्थर, उनपर तो ईश्वर भी हँसते हैं।

 

मैं नहीं कहता हूँ किसी से कि पत्थर को भगवान न मानो,

कहता हूँ यही मैं सब से, कि भगवान को भक्ति से जानो।

अगर हो मन में भक्ति, तो हर जगह प्रभु होंगे विद्यमान,

न होगी जो मन में भक्ति, कैसे बनेगा पत्थर शालिग्राम?

 

सारा जग मैं ढूंढता फिरा, पर प्रभु के दर्शन मिले न कहीं,,

भक्ति भाव से जहाँ भी गया, मिले विराजमान प्रभु वहीं।

भक्ति भाव से तराशा पत्थर, तो निकल पड़े उससे भगवान,

मिला मुझे तब आशीष प्रभु का, हुआ जीवन ये धन्य महान।


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