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जब तुम बूढ़ी हो जाओगी

जब तुम बूढ़ी हो जाओगी

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जब तुम बूढ़ी हो जाओगी,

मैं तब भी तुमको ताकूँगा,

उलझे बालों को सुलझाकर,

मैं बालिस्तों से नापूँगा।


मखमल जैसे ये गाल तुम्हारे,

जब अंदर धंस जाएँगे,

हौले से इनको खींच के मैं,

फिर तुमको बड़ा सताऊँगा।


हिरनी जैसी ये आँखें जब,

छोटी-छोटी हो जाएँगी,

उस रोज भी इनमें डूबकर मैं,

गश खाकर गिर जाऊँगा।


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